

श्रीमती सरस्वतीबाई लच्छीरामजी गड़े इनका जन्म मध्यप्रदेश जिता बैतुल के माँढवी ग्राम से साधारण संपन्न परिवार में हुआ। १४ वर्ष की आयु में इनका विवाह नागपूर निवासी लच्छीरामजी जागोबाजी गढे के साथ हुआ।
नागपुर से जागोबाराव का एक सम्पन्न परिवार था। इनकी जागोबासाव गणबासाव इस नाम से अनाज की फर्म चलती थी । सतरंजीपुरां मे इनका भव्य निवास स्थान था लोग उसे हवेली बोलते थे, और बहुओं को हवेली वाली बहु सम्बोधित किया जाता था ।
ऐसे संपन्न परिवार की एकमात्र सदस्य श्रीमती सरस्वतीबाई गढे अपना साधा जीवन भक्ती, भजन ग्रंथ आदी पढकर व्यतीत किया ।
सामाजिक कार्य में भी उनका महत्वपूर्ण सहयोग रहा है । सतरंजीपुरा के एकनाथ मंदीर में तीन लाख
की राशी प्रदान की जिस कारण से उनके पति श्री लच्छीरामजी जागोबाजी गड़े के नाम से इस सामाजिक भवन का नाम दिया गया । किराड़पूरा हनुमान मंदिर में श्री दत्तात्रेय भगवान की मूर्ति की स्थापना की । सत्तरंजीपुरा के राम मंदीर में हनुमान मंदीर की सजावट १५, ००० रू देकर करवाई । आलंदी के वारकरी शिक्षण संस्था को ५०,००० रू दान दिया। प्रती वर्ष अनाथ विद्यार्थी गृह के विद्यार्थीयों को एक दिन का भोजन इनके द्वारा दिया जाता है ।
समाज के होनहार विद्यार्थीयों को पुरस्कृत करनेके लिये इनसे प्रतिवर्ष सहायता राशी मिलती है । इसी
समाज की दान मूर्ति का सत्कार कर महाराष्ट्र किराड (किरात) समाज, गौरव अनुभव करता है ।
लेखक,
डॉ. रमेशचंद्र सिन्हा



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