
समाज में जीवनमूल्यों एवं संस्कारमूल्यों की सदैव रक्षा करने वालें,समाज संस्कृति के प्रवाह को पीढ़ी- दर -पीढ़ी हस्तांतरित करने वालें समाज मूल्यवर्धक देवस्वरूप मातृ शक्ति -पितृशक्ति का यथोचित सम्मान,परिजनों को उनकी उचित देखभाल के लियें प्रेरित करना,युवाओं को उनके एवं वरिष्ठों के प्रति कर्तव्य – दायित्वमूल्यों से परिचित कराना। स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देना, आत्मनिर्भर बनाने के गुण कौशल्य के अवसर प्रदान करना,दहेज,मृत्युभोज,व्यसन जैसी आदी सामाजिक कुरीतियों,रीतियों के प्रति संचेतना जाग्रत करना,पारिवारिक विघटन (विभाजन )से रोकने के लिये परामर्श प्रदान करना,गैर-जातीय (बेमेल) विवाह को रोकने तथा परामर्थ प्रदान करने,असमर्थता से उभारने,स्वजातीय विवाह के प्रति वैचारिक समझ को बढ़ाने ओर निर्णय क्षमता को सम्बलता प्रदान करना है।



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